मध्यप्रदेश सरकार का डायल 181 बन रहा मज़ाक
मध्य प्रदेश सरकार का डायल 181 बन रहा मज़ाक
मध्यप्रदेश सरकार ने जनता के वैध काम सरकारी अमले द्वारा समय अवधि में नहीं करने पर , डायल 181 के माध्यम से शिकायत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए व्यवस्था की हुई हैं । जिसके विभिन्न सोपान निर्धारित किए हुए हैं ,। अंतिम सोपान में डायल 181पर प्राप्त शिकायतों की समीक्षा मुख्यमंत्री स्वयं करते थे, जो पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से लगाकर कमलनाथ जी की सरकार तक समय अवधि में सुनवाई ओर काम होते थे । किन्तु वर्तमान समय ओर सरकार में डायल 181केवल मजाक बनकर रह गया है।
शिकायत कर्ता परेशान व्यक्ति 181 नंबर पर शिकायत इस उम्मीद के साथ करता है कि, उसकी समस्या का समाधान हो ही जाएगा । किन्तु संबंधित अधिकारी कार्यवाही करने के स्थान, पर सुलह समझौते करवाने के लिए उक्त शिकायत को L 1/2 तक ले जाकर उस शिकायत को पुनः L1 पर पटक देते हैं । फिर L2 पर ले जाते हैं, फिर उलटे सीधे जवाब से शिकायत बंद करवाने का हुनर ढूंढ कर शिकायत बंद करवाने की कोशिश करते हैं। शिकायत कर्ता संतुष्ट नहीं होने पर शिकायत को पुनःL1 पर फेंक देते हैं।
शिकायत को 181 की शिकायत समिक्षा या निर्णय के लिए कलेक्टर लेवल तक जवाबदार अधिकारी पहुंचने ही नहीं देते हैं।
तो मुख्यमंत्री तक सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्य व्यवहार की जानकारी कैसे पहुंचेंगी ?
इस समस्या के शिकार आम व्यक्ति ही नहीं है, इस समस्या के शिकार कुछ अधिकारी कर्मचारी भी हो रहें हैं ,जिन्होंने अपनी समस्या को तत्वरित गति से निर्णय करवाने के लिए, इस मार्ग को चूना था ।, किन्तु अफसोस ही हाथ लग रहा है। कुछ प्रकरण तो कलेक्टर जनसुनवाई से हस्तांतरित हुए पड़े हैं , जिनकी सुध स्वयं कलेक्टर ने भी नहीं ली हैं।
कलेक्टर / कमिश्नर को चाहिए की, इस प्रसंग पर समिक्षा शिघ्रता से करते हुए ,शासन प्रशासन के प्रति जनता में विश्वास पैदा करें।