खाचरौद जनपद पंचायत के, 11 ग्राम पंचायत सचिवो का, 15 दिन का वेतन काटने से सचिव संगठन में छाया रोष
(वीरेन्द्र ठाकुर )
उज्जैन / उज्जैन जिलें की जनपद पंचायत खाचरौद के 11 सचिवो द्वारा नवीन खाद्यान्न पर्ची जारी करने हेतू ग्राम पंचायत क्षेत्र के पात्र हितग्राहीयो के आधार नंबर अपडेशन करने के निर्देश वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा समस्त सचिवो को प्रदान किये थें । नियत तिथि तक 11 सचिवो द्वारा नवीन खाद्यान्न पर्ची जारी करने वाले हितग्राहियो के आधार नंबर पोर्टल पर अपडेशन नहीं किये गये थे, फलस्वरूप 11 सचिवो को दिनांक 26 अगस्त को मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत उज्जैन द्वारा कार्यालय जिला पंचायत उज्जैन में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने हेतु आदेशित किया गया था ।,बताया जाता है कि जनपद पंचायत खाचरौद के 11सचिव उज्जैन जिला पंचायत में सीईओ साहब के समक्ष उपस्थित नहीं हुऐ थे, परिणाम स्वरूप सीईओ जिला पंचायत उज्जैन ने 11 सचिवो के 15 दिन का वेतन काटने के निर्देश सीईओ ज,प,खाचरौद को दिये थें ।
निर्देश के परिपालन में सीईओ जनपद खाचरौद ने लेखा शाखा को पत्र जारी कर सूची अनुसार, 11 सचिवो का 15 दीन का वेतन माह अगस्त के आहरित वेतन से काटने के निर्देश दिये हैं ।, उक्त आदेश से सचिव संगठन में नाराजगी सुनाई दी जा रही है ।
दबी जुबान से सचिव कह रहे हैं की हमारे विरुद्ध की गयी कार्यवाही एक तरफा हैं,
अर्थात नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के अनुकूल नहीं है ।
वरिष्ठ अधिकारी कनिष्ठ अधिकारी को किसी कर्मचारी के विरुद्ध कार्यवाही करने के मौखिक निर्देश देते हैं, जिन्हें कनिष्ठ अधिकारी नोट शिट पर लेकर वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमोदन पश्चात ही उचित कार्यवाही संबंधितों के विरुद्ध की जाती हैं,किन्तु जिला पंचायत सीईओ एडिशनल कलेक्टर होते हैं,भला उनके सामने सीईओ जनपद की क्या मजाल जो नोट शीट पर लिखित ऑर्डर स्वीकृत करवा ले
मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचार संहिता) संहिता 1965 के नियम 3 उप नियम 2 में यह सबकुछ प्रावधानित हैं,।यदि एसा नहीं किया जाता है तो समस्त जवाबदेही कार्यवाही करता अधिकारी पर सुनिश्चित होती हैं ।
उक्त प्रावधानों के पालन सख्ती से करने के निर्देश ,मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग के , पत्र दिनांक 3जनवरी 2020 दियें गयें हैं ।
किन्तु कनिष्ठ अधिकारी की इतनी हिम्मत नहीं की, वह वरिष्ठ अधिकारियों से ऐसे आदेश लिखित में लेने की हिम्मत जुटा सकें । वैसे कार्य नियंत्रण के लिए ,लघु शास्ति अधिरोपीत करना कोई सजा नहीं मानी जाती है ,यह कर्मचारी के प्रति सद्भावना ओर कार्य नियंत्रण करने की सामान्य रिति हैं । जिसका समाधान अनुकूल समय में होना संभव होता है ।