पति-पत्नी ने की आत्महत्या, परिजनों को शक -


 


 



 


गांव बलेडी में पति-पत्नी की एक साथ अर्थी उठी, देख सब हुए स्तम्भ-


 


     चुन्नीलाल परमार


बड़नगर - इंगोरिया पुलिस थानान्तर्गत गांव बलेडी की जनता के लिए दिनांक 24 जुलाई की सुबह काफी गमगीन भरी संदेश लेकर आई । जिस घर में सुख सुविधाओ के तमाम तामझाम हो,उस घर में से एक साथ युवा दंपत्ति की हत्या/आत्महत्या जेसी खबरों ने सबके कान खडे कर दियें ।


 गांव में संपन्न परिवार माना जाने वाला परिवार राजाराम पिता दयाराम राठौर (गुजराती) के घर में सुबह की भोर छटती सुबह दुखभरा संदेश लेकर आई, राजाराम के ज्येष्ठ पुत्र जितेन्द्र अपनी पत्नी ताराबाई के साथ संयुक्त परिवार के साथ भोजन करने के पश्चात,रात्रि विश्रान्ति हेतु प्रथक मकान पर पति पत्नि आ जाते थे,मृतक तीन बच्चों के माता-पिता थें, घटना दिनांक से पूर्व दो बच्चे मामा के गांव नामली (रतलाम) चले गए थे।


  सुबह जब मृतका तारा बाई के ससुर राजाराम दुसरे घर से घटना स्थल घर पर सुबह आयें,आवाज लगाने पर कोई नहीं बोला न दरवाजा खोला, तब राजाराम ने द्वितिय मंजिल पर जाकर देखा जिस कमरे में दंपत्ति सोते थें, उस कमरे के दरवाजे की साकंल उपर से लगी देख, राजाराम ने साकंल खोल दरवाजा धकेल अंदर देखा,अंदर तारा बाई बिस्तर पर मृत पढी थी,राजाराम ने हल्ला गुल्ला कर आस-पड़ोस के लोगों को बुलाया ,। पुत्र जितेन्द्र की खोज बिन की ,जितेन्द्र गोठान में फांसी के फंदे पर मृत मिला ।


 घबराये राजाराम ने मुहल्ले के लोगों को ओर परिवार जनों को घटना से अवगत करवाया, पुलिस इगोरिया को इत्तला दी गयीं ।


  पुलिस ने मोके पर जाकर मोका मुआयना किया ,पंचनामा बनाकर शवों को अपने कब्जे में लेकर आवश्यक कार्यवाही करने के पश्चात पीएम करवाकर शवो को परिजनों को सोपं दिया प्रकरण को लिया है अनुसंधान में ।


  प्रथम दृष्टा ताराबाई के शव को देखकर लग रहा था ,की ताराबाई की हत्या केबल से गला घोंट की गयी हैं, शव बिस्तर पर पडा था, ओर जहां जितेन्द्र का शव फंदे पर लटका मिला से प्रतित होता है कि, जितेन्द्र की मृत्यु भी किसी घटना का बदला स्वरूप हैं ।, जहाँ जितेन्द्र का शव लटका हुआ था वह स्थान किसी भी दशा में फांसी के अनुकूल स्थान प्रतित नहीं होता है । 


आखिर हत्या ओर आत्म हत्या जैसे अपराध ने जन्म क्यूँ लिया?अब पुलिस के लिए यह तथ्य खोजना आवश्यक है ,की मृतक जितेन्द्र के माता-पिता सवा सौ बीघा जमीन के जागीरदार हैं तीन ट्रेक्टर तीन कारें, आलिशान मकान के मालिक हैं ।,वहीं जितेन्द्र के ससुराल वाले ,ससुर नामली निवासी आत्माराम पिता मूलचंद जी भी संपन्न ओर मान सम्मान वाले व्यक्ति हैं,वहीं मृतका ताराबाई ओर भाई मनोहर अपने माता-पिता की मात्र दो संतान ही हैं,जिनका लालन पालन बढे लार दुलार से हुआ है, जिन्हें कोई आर्थिक परेशानी नहीं थी के बावजूद इस घटना ने जन्म क्यूँ ओर कैसे ले लिया है ? यह समंझना पुलिस के लिए आवश्यक है, ओर यही प्रश्न मृतक जितेन्द्र के दादा जी दयाराम जी एवं मृतका ताराबाई के पिता आत्माराम जी का भी हैं,। जितेन्द्र के पिता राजाराम काफी दशहत ओर शोकाकुल वातावरण में हैं । पुलिस ने सूक्ष्मता से प्रकरण को अनुसंधान में लेगी तभी दुध का दुध ओर पानी का पानी हो पायेगा ।


अन्यथा ताराबाई ओर जितेन्द्र जैसे सीधे साधे युवा दंपत्ति, अ समय ही काल के गाल में एसी घटनाओं के रूप में समाते रहेंगे, ओर सत्यता समय की गर्दिश में दफन होती रहेंगी । मृतका ताराबाई के भाई मनोहर एवं पिता आत्माराम जी को पूरी घटना संशय युक्त लगती प्रतीत हुई है । परिजनों का रो रो कर बूरे हाल हैं । वहीं दोनों मृतकों के परिवार में मातम पसरा हुआ है ।


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