झोलाछाप सरपंच का एक और कारनामा किराने की दुकान के नाम पर मिठाई, टेंट, डीजे साउंड, रेती, कुर्सी, बिस्तर की खरीदी का एक ही व्यक्ति को कर दिया भुगतान शासन को चूना लगाने में एक कदम आगे निकला सरपंच
🔷 किराना दुकान के नाम पर लगाए गए फर्जी बिल।)
शाजापुर । ग्राम पंचायत बज्जाहेड़ा ने स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस समारोह को भी कमाई का जरिया बना लिया है।
🔷 जिसमें पंचायत द्वारा एक किराने की दुकान के नाम पर मिठाई, टेंट, रेती, कुर्सी, बिस्तर आदि के बिल लगाकर एक ही दुकान जमकर भ्रष्टाचार किया है।
🔷 अब यह बात समझ से परे है कि आखिर एक छोटी सी किराने की दुकान से इतना सामान सप्लाय कैसे हो गया।
🔷 वहीं पंचायत ने भी आंख मूंदकर इन फर्जी बिलों का लक्ष्मी दर्शन की लालसा के चलते भुगतान भी कर दिया।
🔷 ग्राम पंचायत बज्जाहेड़ा में आए दिन नित नए भ्रष्टाचार किए जा रहे हैं जिनके तरीके भी अलग-अलग हैं।
🔷 इस बार पंचायत ने राष्ट्रीय त्यौहारों को भी अपनी लक्ष्मी दर्शन की लालसा पूरी करने का जरिया बना लिया है।
🔷 इन्होंने मिठाई, रेती, टेंट और बिस्तर जो कभी खरीदे ही नहीं गए उनके भी फर्जी बिल बनाकर इनका भुगतान भी करवा लिया। यही नहीं इस भ्रष्टाचार को पंचायत में बैठे अन्य जवाबदारों ने भी हवा दी और बिना सोचे-समझे एक छोटी सी किराने की दुकान को मोहरा बनाया जिसके नाम पर लाखों के बिल पास कर दिए।
🔷 अब सवाल ये उठता है कि एक किराना दुकान से किराने के अलावा मिठाई, टेंट, कुर्सी, बिस्तर यहां तक कि रेती तक का विक्रय कैसे किया जा रहा है।
🔷 इससे तो यही साबित होता है कि पंचायत से अपनी जेब गर्म करने के लिए सरपंच ने एक किराना दुकान को जरिया बना लिया और एक ही दुकान के नाम से करीब 2 लाख 71 हजार रुपए के बिल का भुगतान भी संबंधित के बैंक खाते में पंचायत द्वारा कर दिया गया।
निष्पक्ष जांच हुई तो कई घोटाले आएंगे सामने
🔷 ग्राम पंचायत बज्जाहेड़ा का यह एक मामला नहीं है। बल्कि उक्त पंचायत के सरपंच भ्रष्टाचार की रोज नई इबारत लिखते रहते हैं।
🔷 मामला चाहे घटिया सडृक निर्माण का हो, अपनों को लाभ पहुंचाने का हो, सामुदायिक भवन हड़पने का हो या फिर सार्वजनिक स्थल से हटाकर निजी जमीन पर पर कुंआ बनाने का हो या अपनों को मनरेगा योजना का लाभ दिलाने का हो सारे काम यहां सरपंच द्वारा आसानी से कर लिए जाते हैं और सरपंच को किसी कार्रवाई का डर भी नहीं है।
🔷 यदि यहां निष्पक्ष जांच की जाए तो कई ऐसे खुलासे सामने आएंगे जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।