लॉक डाउन में हो रहें हैं कुछ पुलिस बेकाबू , जो पुलिस की छवि को कर रहे हैं धूमिल-
पुलिस की छवि को
(वीरेंद्र ठाकुर )
उज्जैन / विगत तीन दिन पूर्व उज्जैन नागझिरी थाने में पदस्थ पुलिस कर्मी द्वारा एक किसान के साथ मार पीट का मामला प्रकाशित मैं आया था, बताया जा रहा है कि उक्त प्रताड़ित किसान का मोबाइल फोन जो की 16000 हजार का था उसको भी पुलिस कर्मी द्वारा फोड दिया गया था,उक्त घटना के कारण किसानों में काफी आक्रोश देखा गया था वहीं प्रेस प्रतिनिधियो ने जब संबधित थाने के थाना प्रभारी टीआई राममूर्ति शाक्य से घटना का जायजा लेने का प्रयास किया तब उन्होंने प्रेस प्रतिनिधियों को भी बर्गलाने की कोशिश की हैं ।
चश्म दिदो ने जो घटना बंया
की उसके अनुसार उक्त पुलिस कर्मी का कार्य अति निंदनीय कार्य प्रतीत हो रहा है ।
किसान के साथ मार पीट करने वाले पुलिस कर्मी पर कार्यवाही नहीं होते देख अन्य पुलिस थाने के पुलिस कर्मी की भाषा काफी असंसदीय अव्यवहार अमानवीय सी होग है क्षेत्रीय गुन्डाई का प्रदर्शन शरीफ लोगों के मोबाइल छिन कर उनके साथ अभद्रता करना आम बाते हो रही है ओर थाना प्रभारी बेचारगी प्रदर्शित कर देखते रहते हैं । सोचना चाहिए लॉक डाउन हैं पुलिसिया राज नहीं है, प्रजातंत्र हैं राजा महाराजाओं की रियासतें नहीं है भिडं मुरैना नहीं यह मालवा का पानी हैं यह अन्न भी देता है ओर मान सम्मान भी इसका मूल्य समंझो ओर मान पाओ, यह भी समंझो की हम शासकीय मुलाजिम हैं किसी रियासत की राज कुमार नहीं,,,,
यदि पुलिस के आला अधिकारियों ने अपने अधीनस्थो पर नियंत्रण नहीं रखा तो, जन आक्रोश झेलने के लिए तत्पर होना पडेगा ।