उज्जैनी तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा और मानव सेवा ही प्रभुसेवा
टीम प्राइड ऑफ उज्जैनी मानवीय संवेदनाएं और कोमल भावनाओं से सेवा कार्य में जुटी।
(विजय सिंह ठाकुर )
उज्जैन l सो टका सच है, कि कोई भी व्यक्ति दूसरे को वही दे सकता है, जो उसके पास होता है। अगर हम किसी को प्रेम, मैत्री, समय, भावनाएं प्रदान करते हैं, तो इसका अर्थ है कि हमारे पास मानवीय संवेदनाएं और कोमल भावनाओं का अकाल नहीं है।
बल्कि हम इनसे ओतप्रोत हैं। लेकिन जैसे ही हम किसी के साथ कुछ अच्छा करके अपने आप को अपेक्षा की डोर में बांध लेते हैं । तो हम अपेक्षाओं के सीखंचों मैं कैद हो जाते हैं।
किसी का भला कर के भूल जाना आपके मन को स्वस्थ रखता है, और आपको अपेक्षाओं के सींखचों से मुक्त कर आपके व्यक्तित्व को व्यापक बनाता है। बेहतर है भलाई करते हुए अपेक्षा का हिसाब खोलने के बजाय उसकी शृंखला बनाएं, यानी अपनी सद्भावना के भाव को अन्य लोगों या प्राणियों में वितरित करें, जो आपसे जुड़े तो नहीं हैं पर जरूरतमंद हैं।
ऐसा ही लोगों की सेवा करने में जुटी हुई हे संस्था प्राइड ऑफ
उज्जैनी तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा और मानव सेवा ही प्रभुसेवा
के उद्देश्य से कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी के दौर में जारी लॉक डाउन/ कर्फ्यू के दौरान निराश्रित, दिहाड़ी मजदूर ,राहगीर ,साधु संत, भिक्षुक जैसे जरूरतमंद लोगों को भोजन के पैकेट, दूध व सूखा राशन वितरण करने का पुनीत कार्य विगत 26 दिनों से सतत् कियाजा रहा है।
संस्था द्वारा अभी तक 20988 भोजन के पैकेट 620 लीटर दूध एवं 421 पैकेट सूखा राशन जरूरतमंदों में वितरित किया गया साथ ही प्रतिदिन कोरोना योद्धाओं को विशेषकर पुलिस बल के लिए आरो फिल्टर रूम टेंपरेचर वाला पानी तथा अदरक, तुलसी ,मुलेठी युक्त चाय का वितरण किया जा रहा है।
संस्था टीम प्राइड ऑफ उज्जैनी के विजय दीक्षित के अनुसार संस्था के सदस्य विगत 2 वर्षों से शहर में सेवा कार्य में रत हैं जिसके द्वारा शहर में आयोजित विविध प्रसंग जैसे शादी ,बर्थडे पार्टी, भंडारा या अन्य किसी उत्सव पर शेष बचे भोजन को एकत्रित कर जरूरतमंद लोगों व गरीब बस्तियों तक पहुंचाने का काम करने के साथ ही संस्था अपने सदस्यों का जन्म दिवस भी बस्ती में गरीब बच्चों के बीच शैक्षणिक सामग्री वितरित करके मनाती है ।तथा समय-समय पर झुग्गी बस्तियों में चिकित्सा शिविरों का आयोजन करने के साथ ही होली, दिवाली, दशहरा व मकर संक्रांति जैसे त्यौहार भी इन्हीं बच्चों के बीच मना कर इन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का पुनीत कार्य करती है।
318 सदस्यीय संस्था में 40 से 50 सदस्य सक्रिय रूप से कार्य रत हैं ।
टीम में अमिताभ सुधांशु, प्रदीप शर्मा, सूरज पांचाल, मयूर शर्मा, श्रीमती रजनी नरवरिया, हरीश तिवारी, बाबा जानी, शुभम बोटके विशाल पांचाल ,जयदीप मेहता, कुणाल ठाकुर, अविनाश अनिल साहू, मुकेश प्रजापति, महेंद्र प्रजापत, लखन जोशी, उज्जवल खंडेलवाल, रत्नेश नीमा, विपुल सहगल, सुमित गादिया, पुनीत जैन, विश्वास पोरवाल, चेतना चौहान व करुणा शितोले आदि प्रमुख है।र्य में जुटी।